A SIMPLE KEY FOR NEWS IN HINDI UNVEILED

A Simple Key For news in hindi Unveiled

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जल में तेल, दुष्ट से कहि गई बात, योग्य व्यक्ति को दिया गया दान तथा बुद्धिमान को दिया ज्ञान थोड़ा सा होने पर भी अपने- आप विस्तार प्राप्त कर लेते हैं ।

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जिस प्रकार अकेला चन्द्रमा रात की शोभा बढ़ा देता है, ठीक उसी प्रकार एक ही विद्वान -सज्जन पुत्र कुल को आह्लादित करता है ।

दुष्ट और साँप, इन दोनों में साँप अच्छा है, न कि दुष्ट । साँप तो एक ही बार डसता है, किन्तु दुष्ट तो पग-पग पर डसता रहता है ।

नान्नोदकसमं दानं न तिथिर्द्वादशी समा । न गायत्र्याः परो मन्त्रो न मातुर्दैवतं परम् ॥

बाघ, हाथी और सिंह जैसे भयंकर जीवों से घिर हुए वन में रह ले, वृक्ष पर घर बनाकर, फल – पत्ते खाकर और पानी पीकर निर्वाह कर ले, धरती पर घास – फूस बिछाकर सो ले और फटे – पुराने टुकड़े – टुकड़े हुए वृक्षों की छल को ओढ़कर शरीर को धक ले, परन्तु धनहीन होने की दशा में अपने संबन्धियों के साथ कभी न रहे, क्योंकि इससे उसे अपमान और उपेक्षा का जो कड़वा घूंट पीना पड़ता है, वह सर्वथा असह्य होता है ।

कोयल तब तक मौन रहकर दिनों को बिताती है, जब तक कि उसकी मधुर वाणी नहीं फूट पड़ती । यह वाणी सभी को आनन्द देती है । अतः जब भी बोले, मधुर बोलो । कड़वा बोलने से चुप रहना ही बेहतर है ।

मूर्ख व्यक्ति को दो पैरोंवाला पशु समझकर त्याग देना चाहिए, क्योंकि वह अपने शब्दों से शूल के समान उसी तरह भेदता रहता है, जैसे अदृश्य कांटा चुभ जाता है

ध्रुवाणि तस्य नश्यन्ति चाध्रुवं नष्टमेव हि ॥ ०१-१३

त्यजेदेकं कुलस्यार्थे ग्रामस्यार्थे कुलं त्यजेत्। ग्रामं जनपदस्यार्थे आत्मार्थे पृथिवीं त्यजेत्॥

एतदर्थ कुलीनानां नृपाः कुर्वन्ति संग्रहम्। आदिमध्यावसानेषु more info न त्यजन्ति च ते नृपम् ॥

अनाज, पानी और सबके साथ मधुर बोलना – ये तीन चीजें ही पृथ्वी के सच्चे रत्न हैं । हीरे जवाहरात आदि पत्थर के टुकड़े ही तो हैं । इन्हें रत्न कहना केवल मूर्खता है ।

दह्यमानां सुतीव्रेण नीचाः परयशोऽग्निना। अशक्तास्तत्पदं गन्तुं ततो निन्दां प्रकुर्वते॥

सकुले योजयेत्कन्या पुत्रं पुत्रं विद्यासु योजयेत्। व्यसने योजयेच्छत्रुं मित्रं धर्मे नियोजयेत् ॥

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